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श्रीकृष्ण के मुकुट में सजा मोरपंख
मोरपंख भारतीय संस्कृति में केवल एक सजावटी प्रतीक नहीं, बल्कि गहन दर्शन और जीवन का संदेश है।
भारतीय संस्कृति और चेतना
रोहित थपलियाल
8/16/20251 मिनट पढ़ें


मोरपंख भारतीय संस्कृति में केवल एक सजावटी प्रतीक नहीं, बल्कि गहन दर्शन और जीवन का संदेश है। श्रीकृष्ण के मुकुट में सजा मोरपंख इस बात का द्योतक है कि सादगी और प्रकृति के साथ एकात्मता ही ईश्वर का सबसे प्रिय आभूषण है।
मोरपंख के रंगीन छायाचित्र हमें यह सिखाते हैं कि जीवन केवल एक रंग का नहीं होता — इसमें अनेक अनुभव, भावनाएँ और अवसर समाहित होते हैं। जैसे मोरपंख का हर रंग अपनी जगह पर अद्वितीय होते हुए भी संपूर्ण सौंदर्य में योगदान देता है, वैसे ही समाज का हर व्यक्ति, हर जीव और हर प्राकृतिक तत्व जीवन-समरसता के लिए आवश्यक है।
जन्माष्टमी और श्रीकृष्ण की स्मृति में मोरपंखी पृष्ठभूमि का उपयोग हमें यह याद दिलाता है कि —
प्रकृति ही ईश्वर की सबसे सुंदर कृति है।
रंग-बिरंगी विविधता में ही एकता और सौंदर्य का वास है।
सादगी और सहजता में ही वास्तविक आकर्षण है।
मोरपंख का यह दर्शन जीवन में आशा और विश्वास जगाता है। यह हमें प्रेरित करता है कि हम अपने जीवन को प्रकृति के रंगों से सजाएँ, हर परिस्थिति को स्वीकारें और हर क्षण को ईश्वर के प्रति समर्पित करें।
यही है मोरपंख का संदेश — रंग, सौंदर्य और संतुलन से भरा जीवन।

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