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भाग 6:मानसिक स्वास्थ्य कैसे बनाए रखें — दिनचर्या, अभ्यास और आत्म-करुणा का विज्ञान — जब मन थके, तो उसे दवा नहीं, दिशा चाहिए
क्या आप रोज़ अपने मन को धोते हैं? वो विचार जो आपको काटते हैं, वो डर जो आपको पकड़ते हैं, वो अपराधबोध जो छाया की तरह पीछा करता है — क्या हम उन्हें कभी धोते हैं, सुखाते हैं, सहलाते हैं?
WELLNESS / मानसिक स्वास्थ्य
रोहित थापलियाल
7/17/20251 मिनट पढ़ें


प्रस्तावना: मन मंदिर है, पर झाड़ू रोज़ लगती है
हम रोज़ नहाते हैं, कपड़े बदलते हैं, कमरे साफ़ करते हैं —
पर मन?
क्या आप रोज़ अपने मन को धोते हैं?
वो विचार जो आपको काटते हैं,
वो डर जो आपको पकड़ते हैं,
वो अपराधबोध जो छाया की तरह पीछा करता है —
क्या हम उन्हें कभी धोते हैं, सुखाते हैं, सहलाते हैं?
“मानसिक स्वास्थ्य रखना कोई ‘इलाज’ नहीं, एक ‘आदत’ है।”
मानसिक स्वच्छता के तीन स्तंभ
1. दिनचर्या (Routine) — मन की रीढ़
जैसे शरीर को नींद, भोजन और गति चाहिए —
वैसे ही मन को चाहिए:
संरचना, ताकि वह भटके नहीं
स्थिरता, ताकि वह विचलित न हो
विश्राम, ताकि वह रीसेट हो सके
सुझाव:
सुबह उठते ही फोन देखने से बचें।
दिन में एक “डिजिटल ब्रेक” (1 घंटा बिना स्क्रीन) रखें।
सोने से पहले 15 मिनट शांत मौन या जर्नलिंग करें।
“मन एक बच्चा है — उसे दिनचर्या से सुरक्षा मिलती है।”
2. अभ्यास (Practice) — मन का व्यायाम
मन की मांसपेशियाँ योग से नहीं, ध्यान और सजगता से मजबूत होती हैं।
सबसे सरल लेकिन प्रभावशाली अभ्यास:
1. साँस पर ध्यान (Breath Awareness):
हर दिन सिर्फ 5 मिनट अपनी साँसों पर ध्यान दें — बिना उसे बदले, बस देखें।
2. "नाम देना" तकनीक:
जब कोई भावना आए — जैसे गुस्सा, डर — उसे “नाम दें”
जैसे: "यह डर है। यह मेरी वर्तमान स्थिति है।"
इससे भावनाओं से दूरी बनती है, और नियंत्रण आता है।
3. करुणा ध्यान (Loving-Kindness):
अपने लिए, दूसरों के लिए और इस जगत के लिए शांति की भावना भेजें।
मन खुद को हल्का महसूस करता है।
“ध्यान से हम मन को नहीं रोकते — हम उसे सहारा देते हैं।”
3. आत्म-करुणा (Self-Compassion) — मन का भोजन
आप दुनिया में सबको माफ कर सकते हैं —
लेकिन अगर खुद को नहीं माफ किया, तो मन जंग खा जाएगा।
आत्म-करुणा का मतलब:
खुद को सुनना, जज नहीं करना
अपनी कमजोरियों को इंसानी मानकर अपनाना
कभी-कभी बस खुद को गले लगाना — अंदर से
“जो खुद से प्रेम नहीं करता, वह कभी दूसरों को सच्चा प्रेम नहीं दे सकता।”
अभ्यास:
हर दिन खुद से पूछिए: “क्या मैंने आज अपने मन का ख्याल रखा?”
अपनी गलती पर कहिए: “मैं सीख रहा हूँ, मैं कमजोर नहीं हूँ।”
मन को पोषण देने वाली 5 आदतें
सुबह की शांति: दिन की शुरुआत 20 मिनट की मौनता से करें
प्रकृति से जुड़ाव: हफ्ते में एक दिन “धरती को छूने” (पैदल चलना, पेड़ को छूना) का समय निकालें
संगीत: हर दिन 5 मिनट सिर्फ ऐसे संगीत के साथ बिताएं जो मन को नम कर दे
हँसी: दिन में एक बार बिना वजह हँसना जरूरी है
धन्यवाद सूची: रात को 3 चीजें लिखें जिनके लिए आप आभारी हैं
"मन को रोशन करने के लिए दीया बाहर नहीं, भीतर जलता है।"
सार:
मानसिक स्वास्थ्य कोई कार्यक्रम नहीं — यह एक अभ्यास है
हर दिन छोटा-सा समय “अपने लिए” निकालना ही असली चिकित्सा है
यह जीवन से भागना नहीं, उससे मिलना है



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