पेड़ों का आशीर्वाद – माँ के संस्कार, धरती का प्यार

कभी-कभी हम जो पेड़-पौधे लगाते हैं, वो सिर्फ हरे पत्तों और तनों का समूह नहीं होते, बल्कि हमारे संस्कारों, हमारी भावनाओं और हमारी धरती से जुड़ाव का जीवंत प्रमाण होते हैं।

पर्यावरण और धरती माँ

ROHIT THAPLIYAL

8/15/2025

कभी-कभी हम जो पेड़-पौधे लगाते हैं, वो सिर्फ हरे पत्तों और तनों का समूह नहीं होते,बल्कि हमारे संस्कारों, हमारी भावनाओं और हमारी धरती से जुड़ाव का जीवंत प्रमाण होते हैं।
हमारे घर और दुकान के आसपास खड़े नीम, अशोक, गिलोय और वज्रांति की बेल एक छोटे से आँगन को प्रकृति के मंदिर में बदल देते हैं।

हर पौधा – एक कहानी, एक संदेश

नीम – रक्षा और औषधि का प्रतीक


नीम की ठंडी छाँव और औषधीय पत्तियाँ हमें सिखाती हैं कि सख़्त दिखने वाला भी भीतर से कितना हितकारी हो सकता है।
जहाँ नीम होता है, वहाँ हवा भी दवा बन जाती है।

अशोक – दुःख हरने वाला मित्र
अशोक के पेड़ को शांति, सौंदर्य और मानसिक संतुलन का प्रतीक माना गया है।
उसकी पत्तियों की सरसराहट जैसे हर मन की बेचैनी को सहला देती है।

गिलोय – अमृत की बेल
गिलोय जीवनदायिनी है, रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाती है और शरीर को विषम परिस्थितियों में भी मजबूत बनाती है।
जिस आँगन में गिलोय लहराती है, वहाँ रोग के लिए जगह कम हो जाती है।

वज्रांति की माला की बेल – आध्यात्मिक रक्षा कवच
भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण से जुड़ी यह बेल मन और वातावरण दोनों को शुद्ध करती है।
मान्यता है कि यह नज़र, भय और नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा करती है।

संस्कार और प्रकृति – एक अटूट बंधन

हमारी माँ ने सात साल पहले जो नीम और अशोक के पौधे लगाए थे, वो अब छाँव बनकर हमको आशीर्वाद दे रहे हैं। हमारे घर और दुकान के पास गिलोय और वज्रांति की बेलें जैसे हमारी ज़िंदगी में एक अदृश्य रक्षा-कवच बुन रही हैं।
ये पौधे हमारे जीवन में सिर्फ ऑक्सीजन नहीं दे रहे, बल्कि हमारे हर दिन को पुण्य और सकारात्मक ऊर्जा से भर रहे हैं।

संदेश:

"पेड़ लगाना सिर्फ पर्यावरण की सेवा नहीं,
बल्कि अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का बीज बोना है।"

निष्कर्ष:

प्रकृति के साथ जुड़ना अपने संस्कारों को जीना है।
जो व्यक्ति अपने आँगन में हरियाली बोता है, वह न केवल धरती का बल्कि अपनी आने वाली पीढ़ियों का भी ऋण चुका रहा होता है।
आइए, हम सब भी अपने जीवन में ऐसे पेड़-पौधों का रोपण करें, जो आने वाले वर्षों में न सिर्फ हमें, बल्कि इस पूरी धरती को आशीर्वाद दें।